हर दिन नया नाम, चुनाव का काम — बीजेपी अध्यक्ष पद बना सस्पेंस ड्रामा

सुरेन्द्र दुबे ,राजनैतिक विश्लेषक
सुरेन्द्र दुबे ,राजनैतिक विश्लेषक

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर जो सस्पेंस बना हुआ है, वो किसी बॉलीवुड थ्रिलर से कम नहीं है। नायक कौन होगा, यह तय करना भाजपा के लिए “मिशन इंपॉसिबल” बनता जा रहा है। संसद का सत्र हो, बूथ प्रभारी हों, या संगठनात्मक चुनाव—हर चीज़ बस चुनाव की तारीख को आगे खिसकाने का बहाना बन चुकी है।

संगठन चुनाव: आधे हुए, बाकी आधे बहाने बन गए!

पहले कहा गया: “आधे राज्यों में संगठन चुनाव होंगे, फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलेगा।”
अब कहा जा रहा है: “साढ़े सात लाख बूथ प्रभारी बन गए हैं, अब बस ढाई लाख और चाहिए।”
कोई बताए, अध्यक्ष चाहिए या जनगणना पूरी करनी है?

कुर्सी के नाम पर चल रहा है ‘नामों का महाकुंभ’

हर हफ्ते एक नया नाम ट्रेंड करता है। इस हफ्ते लाइन में हैं:

  • वीडी शर्मा: संघ के पुराने खिलाड़ी, मध्य प्रदेश में मोदी मैजिक के साथ मैदान मार चुके हैं।

  • धर्मेंद्र प्रधान: ओबीसी चेहरा, शिक्षा में स्क्रिप्ट बदलते-बदलते पार्टी की स्क्रिप्ट में आ गए।

  • भूपेंद्र यादव और खट्टर साहब: लाइन में खड़े, लेकिन लाइट उन पर नहीं पड़ी।

  • राजनाथ सिंह: भाजपा का SOS बटन। जब कुछ न सूझे, तो “राजनाथ को बुलाओ” नीति!

नड्डा जी की कुर्सी एक्सटेंशन: “तदर्थ” का नया ट्रेंड

जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 में खत्म हो गया था, लेकिन “अभी कोई बेहतर नहीं मिल रहा” तर्क देकर उन्हें ढाई साल से एडहॉक मोड में रख लिया गया है। क्या मोदी-शाह को नड्डा जी इतने प्यारे लगने लगे हैं कि नया चेहरा देखने का मन नहीं कर रहा?

महिलाएं भी कतार में, पर ‘चौंकाना वाला नाम’ अभी भी रिज़र्व में!

जब भी महिला अध्यक्ष की चर्चा होती है, निर्मला सीतारमण का नाम सामने आता है। लेकिन चर्चा वहीं की वहीं रुक जाती है। हो सकता है, पार्टी जनता को एकदम चौंकाने वाला नाम दे दे – जैसे किसी बायोपिक में अचानक मेन हीरो बदल जाए।

अगस्त के बाद ही मिलेंगे अध्यक्ष जी!

अब कहा जा रहा है कि संसद सत्र (21 जुलाई – 21 अगस्त) के बाद ही अध्यक्ष का चुनाव होगा। साथ में कैबिनेट में फेरबदल भी संभव है। मतलब, एक साथ मसालेदार पॉलिटिकल प्लेट तैयार की जा रही है। कुर्सी किसके नाम होगी, यह तो अगस्त के बाद ही पता चलेगा, लेकिन फिलहाल…

जनता पूछ रही है: “भाई साहब, अध्यक्ष चाहिए या अगला चुनाव भी तदर्थ में ही लड़ना है?”

हर दिन नया नाम, चुनाव का काम — बीजेपी अध्यक्ष पद बना सस्पेंस ड्रामा

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